छत्तीसगढ़ में साकार होती अटल जी की कल्पना..

101 वीं जयंती पर विशेष
राष्ट्रनायक, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्रद्धेय अटलबिहारी वाजपेयी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे । वे अपनी अनेकानेक खूबियों के कारण देश व दुनिया के सर्वप्रिय एवं सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हुये । सही मायने में उन्होंने देश के लिए जीवन जिया तथा अपने जीवन का हर पल देश को समर्पित किया । वे बहुत ही ओजस्वी वक्ता थे तथा अपनी भाषण शैली से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे । संसद हो या जनसभा अपने प्रभावशाली भाषण से अमिट छाप छोड़ जाते थे । वे कुशल राजनेता के अलावा विद्वान कवि व साहित्यकार भी थे उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम, संवेदना और दर्शन की झलक मिलती है । जनभावनाओं को भांपने की उनके पास अद्भुत क्षमता थी । वे जनता के हृदय की धड़कन को बखूबी समझते थे । उनकी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं होता था, वे जो कहते थे वही करते थे तथा जो करते थे वही कहते थे । उनकी इच्छा शक्ति बड़ी प्रबल थी तथा वादे के पक्के थे ।
1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना उनकी प्रबल इच्छा शक्ति का ही परिणाम है । उन्होंने 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में जनता के नब्ज को टटोल कर वादा किया था कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं आपको छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। हालांकि चुनाव में भाजपा को 11 में से 8 सीटें ही मिली लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार पुनः बनी तथा अटल जी पुनः प्रधानमंत्री बन गए । प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी । मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 को लोकसभा में पेश किया गया । इसी दिन दो अन्य राज्यों उत्तराखंड एवं झारखंड राज्य के विधेयक भी पेश हुए । 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो गए । तत्पश्चात 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया । इस प्रकार अटलजी की एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई ।
वास्तव में राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षों से लोग आवाज उठा रहे थे । इसके लिए लोग अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था । यह तो अटलजी की दृढ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि बिना खूनखराबे के राज्य का निर्माण हो गया । छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे । मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी । इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बरार (सी.पी.एंड बरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर हुआ करती थी । इस प्रकार हमें पहले सी.पी.एंड बरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी होने का गौरव प्राप्त हो रहा है । वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगों का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ है वे तीन राज्यों में रहने का सुख प्राप्त कर चुके हैं ।
परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है । छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद माननीय अटलबिहारी वाजपेयी जी का सन 2001 में जब पहली बार छत्तीसगढ़ आगमन हुआ तब उनका छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता के रूप में जोशीला स्वागत हुआ था । वे छत्तीसगढ़ के लोगों को किए गये वादे को पूरा करके तथा अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करके आये थे । अतः राज्य की जनता पलक पावड़े बिछाकर उनका इंतजार कर रही थी । उस दिन छत्तीसगढ़- वासियों को उसी प्रकार के आनंद की अनुभूति हो रही थी जिस प्रकार नये राज्य की स्थापना के समय 1 नवम्बर 2000 को हो रही थी । तमाम स्वागत, अभिनंदन, उमंग और उत्साह के बावजूद एक टीस तो उन्हें थी, अपने अंदाज में उन्होंने जनसभा में व्यक्त भी कर दिया । उन्होंने उस समय कहा था कि छत्तीसगढ़ की धरती को प्रकृति की अपार कृपा है, यह धरती जल सम्पदा, वन सम्पदा एवं खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है, यहां की जनता मेहनतकश है । परन्तु इस राज्य को विकास के शिखर तक ले जाने के लिए एक प्रामाणिक सरकार की कमी है । अटल जी के इस कथन का प्रभाव यह हुआ कि 2003 में जब नव गठित छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला ।
डॉ. रमन सिंह प्रथम निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बने तथा लगातार 15 वर्षों तक भाजपा सरकार का नेतृत्व किया । इस दौरान छत्तीसगढ़ का तीव्र गति से विकास हुआ। अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने का प्रयास हुआ । छत्तीसगढ़ अकाल व पलायन से मुक्त हुआ । किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलने लगा। सरप्लस बिजली उत्पादन होने से किसानों को चौबीसों घंटे बिजली मिलने लगी, विद्युत पंपों के जाल बिछ गये । फलस्वरूप खेती लहलहाने लगी, उत्पादन दुगुना हो गया। शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। कुपोषण व अशिक्षा के खिलाफ संघर्ष तेज हुआ । सभी गांव बारामासी सड़कों से जुड़ गये । कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में विकास की बयार बहने लगी । गांवों, कस्बों एवं शहरों की तकदीर व तस्वीर बदल गई ।
वर्तमान में अत्यंत ही सरल, सहज व सुशासन के प्रतीक श्री विष्णुदेव साय के हाथ में प्रदेश की बागडोर है, जो विगत दो वर्षों से “मोदी की गारंटी” के तहत प्रदेश की खुशहाली के साथ साथ विकास की नई गाथा गढ़ रहें हैं । केंद्र से बेहतर तालमेल बनाकर बस्तर को तेजी से माओवादियों के आतंक से मुक्त किया जा रहा है । प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देश एवं केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चल रहे नक्सली उन्मूलन अभियान को लगातार सफलता मिल रही है । शांति व विकास के मार्ग की सभी बाधाओं को लांघ कर बस्तर सहित समूचा छत्तीसगढ़ इन दिनों तेजी से उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है । मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने अटल जन्म शताब्दी वर्ष में सन् 2025 को “अटल स्मृति वर्ष” घोषित कर अटल जी की कल्पना को साकार करने का संकल्प लिया । फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में सुशासन के साथ विकास की नई गाथा गढ़ी जा रही है ।
वास्तव में इन ढाई दशकों में भाजपा सरकारों के प्रयासों का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ अब देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में स्थापित हो चुका है । यह सब संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने अपने संकल्प के अनुरूप एक झटके में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की । श्रद्धेय अटल जी आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी स्मृतियां एवं खूबियां युगों युगों तक भारत की जनता के मानस पटल पर विद्यमान रहेंगे ।
अशोक बजाज
प्रदेश कार्यालय मंत्री भाजपा छ.ग.




