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IGAU;कृषि विश्वविद्यालय को मिला धान की छह उन्नत किस्मों के संरक्षण का अधिकार

0 प्राधिकरण के अध्यक्ष ने कुलपति डॉ. चंदेल को सौंपे पंजीयन प्रमाण पत्र

रायपुर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर को पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा संजीवनी धान, छत्तीसगढ़ धान 1919, छत्तीसगढ़ संकर धान 2, बौना लुच्चई, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोना गाठी, छत्तीसगढ़ भव्या धान प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन के अधिकार प्राप्त हुए है।

विगत दिवस नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्रा द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को इन किस्मों के पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर पौधा किस्म संरक्षण के रजिस्ट्रार जनरल डॉ. दिनेश अग्रवाल , रजिस्ट्रार दीपक राय चौधरी एवं नोडल ऑफिसर डॉ. दीपक शर्मा, भी उपस्थित थे।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा कई वर्षों की मेहनत और अनुसंधान के माध्यम से धान की उपरोक्त नवीन किस्मों का विकास किया गया है। इन किस्मों का विकास भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर ट्रॉम्बे (मुंबई) के सहयोग से किया गया है जिसमें म्यूटेशन एवं रेडियेशन पद्धतियों का उपयोग किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित संजीवनी धान शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर विभिन्न रोगों से लड़ने में सहायक पाई गई है तथा इसमें कैंसर रोधी गुण भी पाए गए हैं। इसके अलावा अन्य धान की किस्में भी कम अवधि में पकने वाली, अधिक उपज देने वाली तथा विभिन्न रोगों की प्रतिरोधक है।
किसानों और प्रजनकों के लिए लाभः

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को उपरोक्त किस्मों के पंजीयन प्रमाण मिलने से विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ के किसानों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे-
विशेष अधिकार– अपनी किस्म के व्यावसायिक उत्पादन और बिक्री पर कानूनी अधिकार, जिससे उन्हें अपनी मेहनत का वित्तीय लाभ मिलता है।
किसानों के अधिकार -किसान अपनी संरक्षित किस्मों के बीज को बचा सकते हैं, बो सकते हैं, साझा कर सकते हैं और बेच सकते हैं (जब तक ब्रांडेड न हो)
नवाचार को प्रोत्साहन-यह नई और बेहतर फसल किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान और निवेश को बढ़ावा देता है।
मान्यता और पुरस्कार (Recognition & Rewards)-पारंपरिक किस्मों और आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए किसानों और समुदायों को पुरस्कार मिलते हैं।
सुरक्षा -यह आपकी किस्म को अनधिकृत उपयोग और धोखाधड़ी से बचाता है।
उच्च गुणवत्ता वाले बीज-यह बीज उद्योग के विकास में मदद करता है, जिससे किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज मिलते हैं।
यह कैसे काम करता हैः-
एक किस्म को पंजीकृत करने के लिए, उसे अद्वितीय (distinct), समान (uniform) और स्थिर (stable) होना चाहिए (DUS Test) पंजीकरण के बाद, प्रजनक को अपनी किस्म पर 15-18 साल तक के लिए विशेष अधिकार मिलते हैं। संक्षेप में, यह प्रणाली किसानों और प्रजनकों के योगदान को मान्यता देती है और उन्हें उनकी मेहनत का फल सुनिश्चित करती है, जिससे देश में कृषि और बीज उद्योग दोनों का विकास होता है।        

  नई किस्मों के उत्पादन, बिक्री और मार्केटिंग पर 15-18 साल के लिए विशेष अधिकार

उल्लेखनीय है कि पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार प्राधिकरण (PPV&FRA) में किसी किस्म को पंजीकृत कराने से प्रजनक (breeders) और किसान दोनों को बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) मिलते हैं, जिससे उन्हें अपनी नई किस्मों के उत्पादन, बिक्री और मार्केटिंग पर 15-18 साल के लिए विशेष अधिकार मिलते हैं, किसानों को उनके पारंपरिक ज्ञान और किस्मों के संरक्षण के लिए मान्यता मिलती है, और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है, जिससे कृषि क्षेत्र में नवाचार और निवेश को बढ़ावा मिलता है।

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