POLITICS; लगातार रद्द हो रही ट्रेने,फिर भी नहीं बन रहा मुद्दा, रेलमंत्री के नाम स्टेशन मास्टर को सौंपा ज्ञापन
रायपुर, कोरोना काल से छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली यात्री ट्रेनो को पिछले चार सालो से अचानक रद्द करने का सिलसिला चल पड़ा है,जो आज भी जारी है। जबकि छत्तीसगढ में यातायात का सशक्त माध्यम रेल है। इसके बाद भी रेल सेवा यहां बडा मुद्दा नहीं बन पाया है। ट्रेनों का परिचालन अभी भी लगातार रद्द किया जा रहा है। इसको लेकर आज रायपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने वरिष्ठ स्टेशन मास्टर एनके साहू को ज्ञापन सौपा। प्रतिनिधिमंडल ने स्टेशन मास्टर से मुलाकात कर लगातार रद्द हो रही ट्रेनों के परिचालन को सुचारू ढंग से नियमित शुरू करने की मांग की।
शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली यात्री ट्रेनो को पिछले चार सालो से अचानक रद्द करने का सिलसिला चल पड़ा है। वर्तमान मे भी 72 से अधिक ट्रेनो को राजनांद गांव कलमना रेलखंड के बीच तीसरी लाईन जोड़ने के नाम पर रद्द कर दिया है। खबर है 4 अगस्त से 19 अगस्त के बीच 72 यात्री टेªने प्रभावित रहेगी। रेलवे का यह कदम बेहद ही गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे समय मे जब देश का प्रमुख त्यौहार रक्षा बंधन है, छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार हरेली है। इस समय इतनी बड़ी संख्या मे यात्री ट्रेनों को रद्द किया जाना रेल यात्रियों पर अत्याचार है। रेलवे को यदि मेंटेनेंस करना था जो इसके लिये काम की समय सारणी का ऐसा प्रबंध किया जाना चाहिये जिससे यात्री सुविधाएं बाधित न हो।पिछले चार वर्षो से देश की रेल सुविधाएं पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। इस अवसर पर कांग्रेस नेता उधोराम वर्मा, दिनेश ठाकुर, श्रीनिवास, बंशी कन्नौजे, दीपा बग्गा, महावीर देवांगन, मनोज राय, सचिन अग्रवाल, कमलेश नथवानी, सुयश शर्मा उपस्थित थे।
रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी-दीपक
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि त्योहारों के समय ट्रेनों को रद्द किये जाने का कांग्रेस विरोध करती है। छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली यात्री ट्रेनों को पिछले चार सालों से अचानक रद्द करने का सिलसिला चल पड़ा है। वर्तमान में भी 72 से अधिक ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। रेलवे का यह कदम बेहद ही गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण है। रेल्वे द्वारा जिस प्रकार से यात्री ट्रेनों के संचालन में लगातार कोताही बरती जा रही उससे स्पष्ट हो रहा की रेल्वे यात्री सुविधाओं की अपेक्षा मालवाहक गाड़ियों को ज्यादा प्राथमिकता दे रही। यह जानबूझकर किया जाने वाला षड़यंत्र है ताकि जनमानस में रेल अलोकप्रिय हो और मोदी सरकार रेलवे को निजी हाथों विशेषकर अडानी समूह को सौंप सके। रेल देश के नागरिकों की सबसे सुलभ और लोकप्रिय सुविधा है। आजादी के पहले और बाद में भी सभी सरकारों ने घाटा उठा कर भी जनहित में रेलवे का संचालन अनवरत जारी रखा। रेलवे को बेचने का कोई भी प्रयास देश की जनता के साथ धोखा है, कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है।