Vivah Muhurat;मई-जून में विवाह के लिए मुहूर्त नहीं, 17 जुलाई से लगेगा चातुर्मास, आखातीज पर बजेगी शहनाई
भोपाल, विवाह के लिए श्रेष्ठ माने गए साढ़े तीन स्वयं सिद्ध मुहूर्त में से एक अक्षय तृतीया 10 मई को होगी। हालांकि इससे पहले ही दांपत्य जीवन के लिए आवश्यक सुख-सौभाग्य और सौंदर्य देने वाले गुरु और शुक्र का तारा अस्त हो जाएगा। इसके चलते मई और जून में दो माह विवाह के लिए शुद्ध मुहूर्त नहीं है। हालांकि मत-मतांतर के साथ विभिन्न उपायों करते हुए आखातीज पर युगल परिणय सूत्र में बंधेंगे।
28 अप्रैल से 5 जुलाई तक शुक्र का तारा अस्त रहेगा जबकि 7 मई से 31 मई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा। इसके चलते मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। ज्योर्तिविद् पंडित कान्हा जोशी के अनुसार इन दोनों ग्रह का विशेष महत्व विवाह के लिए बताया गया है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र व्यक्ति के सौंदर्य सहित अन्य शारीरिक और भौतिक सुख को प्रदान करने वाला बताया गया है। इसके अतिरिक्त बृहस्पति जीवन में नैतिकता, समृद्धि , संस्कार और धर्म का कारक है। इसके बाद 9 जुलाई से एक बार फिर वैवाहिक आयोजन शुरू होंगे।
नवंबर में आठ शुभ मुहूर्त
विवाह 9,11,12,13 और 15 जुलाई को किए जा सकेंगे। इसके बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास लगने से विवाह नहीं होंगे। इसके बाद एक बार फिर चार माह के लिए वैवाहिक आयोजन पर रोक लग जाएगी नवंबर में 12,13,16,17,18,22,23, और 25 नवंबर को मुहूर्त है। वर्ष के आखरी महीने दिसंबर में विवाह के 6 मुहूर्त 4,5,9,10,14 और 15 दिसंबर को रहेंगे।
आखातीज को लेकर क्या है विद्वानों के मत
पं. विनायक जोशी के अनुसार एक मत के अनुसार अबूझ मुहूर्त में से एक आखातीज पर विवाह बिना मुहूर्त देख भी किया जा सकता है लेकिन इसमें गुरु और शुक्र में से किसी एक तार उदित होना आवश्यक है। एक अन्य मत के अनुसार साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त में अक्षय तृतीया भी है। इसमें इस दिन विवाह के लिएं पचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है। आखातीज पर सूर्य और चंद्रमा उच्च के होते है। इसके चलते इस अवसर पर किए जाने वाले कार्य में किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है।